उत्तरकाशी: उत्तराखंड वार मेमोरियल ” शौर्य स्थल ” कार्यक्रम के अन्तर्गत पीएमश्री राजकीय आदर्श कीर्ति इण्टर कालेज उत्तरकाशी के सुमन सभागार में देश के शहीद होने वाले एवं देश के लिए लड़ने वाले सैनिको की याद में उत्तराखण्ड वार मेमोरियल शौर्यस्थल स्थल के तहत देशभक्ति गीत एवं समूहगान प्रतियोगिता का आयोजन हुआ । कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री लोकेन्द्र पाल सिंह परमार के द्वारा किया गया।
देशभक्ति गीत औऱ समूहगान प्रतियोगिता में कक्षा 6 से 12 तक के छात्र -छात्राओं एवं एनसीसी कैडेट्स ने प्रतिभाग किया जिसमें एकल गीत में रोहित कुमार, कु. सलोनी चौहान तथा समूहगान में कु.अदिति रावत एवं कु.साक्षी का समूह क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर रहा l विद्यालय के प्रधानाचार्य एल.पी.एस.परमार ने चयनित छात्र छात्राओं को सुभकामनाये दी l
कार्यक्रम के निर्णायक के रूप में पंचम सिंह राणा, रचना चौहान, सुनीता नौटियाल एवं दिनेश नौटियाल रहे l संचालन संजय कुमार जगूड़ी द्वारा किया गया l
कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षक सहित शैलेन्द्र नौटियाल, अतोल सिंह महर, प्रभाकर सेमवाल, गिरीश असवाल, सुनील पंवार, नरेश राणा, अजीता भंडारी, सुनील सेमवाल, प्रेम सिंह रावत, जयराज सिंह,विंध्या प्रसाद भट्ट, धनपाल कोहली ने सहयोग किया l विभिन्न विद्यालयों चयनित छात्र-छात्राएं संकुल, ब्लॉक, जनपद तथा राज्य स्तर पर भी प्रतिभाग करेंगे।
Thanks for your article on this web site. From my very own experience, often times softening upward a photograph may provide the digital photographer with a chunk of an inventive flare. Many times however, that soft cloud isn’t exactly what you had in mind and can quite often spoil a normally good photograph, especially if you thinking about enlarging it.
Good day! Do you use Twitter? I’d like to follow you if that would be okay. I’m undoubtedly enjoying your blog and look forward to new updates.
naturdally lioe yoour wweb sitge however yyou neerd tto test
thhe speloing onn several of your posts. Seeral of
the aare rife witgh spelling isues andd I to find iit very troublesome to tell thee realiry
then again I will certrainly come again again.
यह कार्यक्रम वास्तव में प्रेरणादायक लगता है। छात्रों की प्रतिभा को निखारने के लिए ऐसे आयोजन बहुत जरूरी हैं। रोहित कुमार और सलोनी चौहान जैसे प्रतिभागियों की सफलता सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। प्रधानाचार्य एल.पी.एस. परमार का समर्थन और निर्णायकों की भूमिका भी सराहनीय है। क्या आपको लगता है कि ऐसे कार्यक्रमों से छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ता है? मैं यह जानना चाहूंगा कि क्या इस तरह के आयोजन नियमित रूप से होते हैं या यह एक विशेष अवसर था?