श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति: बदलाव की बयार, विरोध दरकिनार।

साल 2020 में कोरोना नामक वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया की गति अनायास रोक दी थी। उत्तराखंड भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ। पहले लॉकडाउन और उसके बाद महामारी से जूझने के लिए अमल में लाई गई उपायों की लंबी श्रृंखला ने चारधाम यात्रा को लगभग ठप्प कर दिया था। इससे श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की वित्तीय स्थिति भी डगमगा गयी थी।

महामारी के भय से उबरी दुनिया ने जब दोबारा गति पकड़ी तो प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से यात्रा मार्गों पर भी हलचल नज़र आने लगी। वर्ष 2022 प्रदेश सरकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अजेंद्र अजय को बीकेटीसी के अध्यक्ष का दायित्व सौंपा। अजेंद्र के नेतृत्व में बीकेटीसी ने नई ऊर्जा के साथ काम शुरू किया और शासन के सहयोग से यात्रा के लिए आवश्यक अवस्थापना विकास से लेकर परिवेश निर्माण तक के कार्यों को गतिमान किया।

पूर्व में कार्मिकों के वेतन, दैनिक क्रियाकलापों के संचालन और विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए बीकेटीसी को आर्थिक कठिनाइयों से जूझना पड़ता था। अजेंद्र के कार्यकाल में आय के नए स्रोतों के समुचित नियोजन से बीकेटीसी का वित्तीय तलपट आशातीत लाभ दर्शाने लगा है। विगत ढाई वर्षों में बीकेटीसी की परिधि में आने वाले अनेक पौराणिक मंदिरों के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की सराहनीय पहल की गई। इसके साथ ही यात्रा मार्गों पर स्थित विभिन्न विश्राम गृहों के उच्चीकरण के भी अभूतपूर्व कार्य किये गए।

बाबा केदार की शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में कोठा भवन के जीर्णोद्वार और मंदिर परिसर के विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की मांग स्थानीय जनता द्वारा तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है। राजनीतिक लाभ के लिए पूर्व में करीब आधा दर्जन से अधिक बार यहां पर भूमि पूजन भी किये गए। मगर अजेंद्र ने इस परियोजना को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया और वर्तमान में न्यू इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सहयोग से पांच करोड़ रूपये की लागत से प्रथम चरण के कार्य तेजी से गतिमान हैं।

वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ धाम में पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके श्री ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण गत वर्ष एक दानीदाता के सहयोग से एक वर्ष के रिकॉर्ड समय में कराया गया। गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में ध्वस्त हो चुके भैरव मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग क्षेत्रीय जनता करीब एक दशक से उठाती रही है। मगर अजेंद्र के प्रयासों से कुछ माह पूर्व शुरू हुआ मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्र ही पूरा होने को है। इसके अलावा तुंगनाथ व विश्वनाथ मंदिर की जर्जर हो चुकी छतरियों का पुनर्निर्माण कार्य भी सम्पन्न कराये गए हैं।

अजेंद्र के कार्यकाल का सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित कराना रहा है। सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, सिद्धि विनायक, राम मंदिर अयोध्या जैसे तमाम प्रमुख मंदिरों में स्वर्ण मंडित विभिन्न कार्य कराने वाले मुंबई के लाखी परिवार ने केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को पूरी तरह से स्वर्ण मंडित किया। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। मगर कुछ लोगों के दुष्प्रचार को नजरअंदाज कर दिया जाए तो वास्तव में बाबा केदार के गर्भगृह की स्वर्णमयी आभा देश-विदेश के श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुयी है।

बीकेटीसी में वित्तीय नियोजन एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। आश्चर्यजनक रूप से पूर्व में यहां इसके नियंत्रण की कोई सटीक व्यवस्था नहीं थी। अजेंद्र ने पदभार ग्रहण करते ही सबसे पहले वित्तीय पारदर्शिता के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित करने की पहल की और इस पर शासन से प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी की तैनाती करवाई। इससे आर्थिक गतिविधियों का नियामन त्रुटिहीन हो गया है। कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिणाम है कि बीकेटीसी आधारभूत ढांचे के विकास के लिए विभिन्न निर्माण कार्यों को सम्पादित करने के बावजूद आर्थिक दृष्टि से मजबूत स्थिति में आ गयी है। बीकेटीसी ने वर्तमान यात्राकाल में केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में यात्रा सुविधाओं के विकास के लिए प्रदेश सरकार को दस करोड़ रूपये की धनराशि प्रदान की। प्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा कि जब किसी निगम अथवा बोर्ड ने प्रदेश सरकार को सहयोग के रूप में धनराशि दी होगी।

वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय में गठित बीकेटीसी में कर्मचारियों की नियुक्ति, पदोन्नति आदि के लिए कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं थी और ना ही कार्मिकों के लिए कोई सेवा नियमावली थी। बीकेटीसी के इतिहास में पहली बार अजेंद्र ने इसके लिए पहल की और तमाम गतिरोधों के बावजूद सेवा नियमावली बनायीं। धार्मिक संस्थाओं के लिए इस तरह की नियमावली का निर्माण करना दरअसल एक संवेदनशील विषय रहा है। प्रचलित परंपराओं के साथ आवश्यक वैधानिक शर्तों का संयोजन एक चुनौतीपूर्ण टास्क होता है। लिहाजा, इससे पूर्व किसी ने भी इस संवेदनशील विषय को छूने का साहस नहीं किया।

प्रशासनिक व्यवस्था के निर्बाध प्रचालन और कार्य संस्कृति में बदलाव लाने के लिए भी कई प्रयास किये गए। इसमें सबसे प्रमुख निर्णय कार्मिकों का स्थानांतरण था। मंदिर समिति के इतिहास में पहली बार कार्मिकों के स्थानांतरण किये गए। स्थानांतरण प्रक्रिया ने मंदिर समिति में भूचाल ला दिया था। मगर अध्यक्ष ने कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय देते हुए स्थानांतरण आदेशों को लागू करा कर छोड़ा। कर्मचारियों की लंबित पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर उनके मनोबल को बढ़ाने के साथ कार्मिकों को गोल्डन कार्ड सुविधा प्रदान करने जैसे अनेक निर्णय लिए गए।

सुधारों के क्रम में धामों में दर्शन व्यवस्था को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए बीकेटीसी ने अपना सुरक्षा संवर्ग बनाने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भेजा है। इसको सरकार ने स्वीकृति दे दी है। उम्मीद है कि शीघ्र ही बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिरों में दर्शन व सुरक्षा की कमान बीकेटीसी के सुरक्षाकर्मियों के पास होगी।

हालांकि, सुधारों की राह कभी भी आसान नहीं होती है। बीकेटीसी में भी सुधार की बयार कुछ लोगों को पसंद नहीं आयी और वे अध्यक्ष अजेंद्र के विरुद्ध लगातार बात-बेबात के मुद्दों को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास करते रहते हैं। मगर अजेंद्र ने सारे विरोधों को दरकिनार करते हुए अपना अभियान जारी रखा है।

8 thoughts on “श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति: बदलाव की बयार, विरोध दरकिनार।

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