देहरादून: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड) ने चेन्नै में एक भव्य कार्यक्रम के माध्यम से अपना 44वाँ स्थापना दिवस समारोह मनाया यह आयोजन भारत के ग्रामीण विकास में नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है और संस्था की दूरदृष्टि के तहत आने वाले नए युग की शुरुआत को चिन्हित करता है. इस अवसर पर नीतिनिर्माता, राज्य सरकारों के अधिकारी, बैंकिंग क्षेत्र के प्रमुख और आधार स्तर पर काम करने वाले नवप्रवर्तक उपस्थित थे.
इस कार्यक्रम में वित्तीय सेवाएँ विभाग के सचिव एम. नागराजू, तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव एन. मुरुगानंदम की विशेष गरिमामयी उपस्थिति के साथ नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के. वी., उप प्रबंध निदेशक जी. एस. रावत और उप प्रबंध निदेशक ए. के. सूद भी उपस्थित थे. इनके साथ इंडियन बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक, नाबार्ड के वरिष्ठ अधिकारी तथा केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में शामिल हुए.
इस वर्ष का मुख्य विषय था “समावेशी विकास के लिए ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहन”, जिस पर एक विचारोत्तेजक चर्चा का आयोजन हुआ. इस अवसर पर भारत के पारंपरिक हस्तशिल्प, कृषि उत्पादों और ग्रामीण नवोन्मेषों को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें ग्रामीण भारत की गतिशील ऊर्जा और नवोन्मेषों की झलक देखने को मिली.
नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के. वी. ने अपने संबोधन में कहा: “हमारा 44 वर्षों का यह सफर ग्रामीण परिवर्तन के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है. वित्तीय पहुंच से लेकर नवोन्मेष और अनुकूलता बढ़ाने तक, हमने लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है. भारत जब समावेशी और संधारणीय विकास की ओर अग्रसर हो रहा है, इस यात्रा में नाबार्ड अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तत्पर है. हमारा फोकस अब उच्च प्रभाव वाले उपायों के विस्तार, उद्यमशीलता, परिस्थितिकी तंत्र को पोषित करने और संधारणीय विकास को केंद्र में रखने पर है.”
डीएफएस के सचिव एम. नागराजू ने कहा: “नाबार्ड ने पिछले चार दशकों में भारत की ग्रामीण विकास रणनीति का आधार बनकर कार्य किया है.
इसके कार्यक्रम सरकार की उस दृष्टि को दर्शाते हैं जिनमें समावेशी और भविष्य के लिए तैयार ग्रामीण अर्थव्यवस्था की परिकल्पना की गई है. जलवायु परिवर्तन और डिजिटल अवसरों से भरे वर्तमान युग में, नाबार्ड की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है.”
तमिलनाडु के मुख्य सचिव एन. मुरुगानंदम ने कहा: “नाबार्ड का सहयोग तमिलनाडु में ग्रामीण आजीविका बढ़ाने और आत्मनिर्भर समुदायों को सशक्त बनाने में बेहद अहम रहा है. स्वयं सहायता समूहों को समर्थन, बुनियादी ढांचे को मजबूती और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की दिशा में नाबार्ड के प्रयास सराहनीय हैं.”
इस अवसर पर कई नई पहलें भी लॉन्च की गईं, जो नाबार्ड की विस्तारशील भूमिका को दर्शाती हैं:
लेह, लद्दाख में उप-कार्यालय का उद्घाटन: भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में ऋण, क्षमता निर्माण और विकास वित्त तक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम.
नाबार्ड का आधिकारिक WhatsApp चैनल: एफपीओ जानकारी, बाजार सलाह और उत्पाद अपडेट्स सीधे ग्रामीण हितधारकों तक पहुंचाने हेतु.
रेडियो जिंगल अभियान: आकाशवाणी और कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से ग्रामीण व अर्ध-शहरी श्रोताओं में बचत, ऋण और बीमा के प्रति जागरूकता.
ग्रॅज्युएटेड रुरल इन्कम जनरेशन प्रोग्राम (जीआरआयपी) : अत्यंत गरीब ग्रामीण परिवारों को पुनर्भरणीय अनुदान और कौशल सहायता द्वारा औपचारिक वित्तीय गतिविधियों में जोड़ने का अभिनव प्रयास.
रूरल टेक्नोलॉजी को-लैब पोर्टल: स्टार्टअप्स, अनुसंधान संस्थाओं और तकनीकी डेवलपर्स को ग्रामीण-केंद्रित तकनीकों की सह-निर्मिति, परीक्षण और स्केलिंग हेतु एक खुला नवाचार मंच.
‘निवारण’ प्लेटफॉर्म: ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए 24×7 डिजिटल शिकायत निवारण प्रणाली.
कार्यक्रम में ‘ग्रीन रूट्स: जलवायु अनुकूलन की दिशा में नाबार्ड की यात्रा’ नामक वृत्तचित्र का विशेष प्रदर्शन भी किया गया, जो संधारणीय कृषि और पर्यावरणीय प्रबंधन में नाबार्ड के दशकों पुराने योगदान को दर्शाता है.
इसके अतिरिक्त, तीन प्रमुख प्रकाशनों का विमोचन भी हुआ:
1. “आरआईडीएफ़@30: अ जर्नी ऑफ रुरल ट्रान्सफॉर्मेशन” – ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि की 30 वर्षों की उपलब्धियां.
2. “ग्रामीण भारत महोत्सव” कॉफी टेबल बुक – जनवरी 2025 में भारत मंडपम में आयोजित उत्सव की सांस्कृतिक और उद्यमशील झलकियां.
3. “बियॉन्ड नंबर्स 2025″– नाबार्ड के ऋण, जलवायु, डिजिटल और संस्थागत क्षेत्रों में बहु-आयामी योगदान पर आधारित रिपोर्ट.
44वें स्थापना दिवस के इस अवसर ने न केवल नाबार्ड की पिछली उपलब्धियों को सम्मानित किया, बल्कि आगे की दिशा को – जो समावेशन, नवोन्मेष और प्रभाव के मूल्यों से प्रेरित है – उजागर किया. इस
आयोजन ने नाबार्ड को भारत के ग्रामीण भविष्य को संवारने वाली एक मजबूत राष्ट्रीय संस्था के रूप में फिर से स्थापित किया.
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