दून पुस्तकालय में डॉ.सुवर्ण रावत ने बच्चों को सिखाये रंगमंच के गुर

दून पुस्तकालय में  डॉ.सुवर्ण रावत ने बच्चों को सिखाये रंगमंच के गुर

देहरादून: दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के बाल अनुभाग ने बच्चों में रंगमंच कि प्रारम्भिक जानकारी देने के उद्देश्य से एक दिवसीय बाल रंगमंच कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यशाला में दिल्ली के प्रसिद्ध राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के थिएटर शिक्षा प्राप्त डॉ. सुवर्ण रावत ने बच्चों में रंगमंच की आधारभूत व प्रारम्भिक जानकारी प्रदान की. एक दिन की यह कार्यशाला बेहद महत्वपूर्ण रही .

डॉ. सुवर्ण के व्यापक अनुभव से बाल प्रतिभागियों ने रंगमंच की कई बारीकियां सीखी. कुल मिलाकर यह कार्यशाला गतिशीलता और आकर्षकता से भरपूर रही. ध्वनि प्रक्षेपण, अभिव्यंजना, शारीरिक गतिविधियों, लयबद्ध संगीत, और विविध अभिनय तकनीकों जैसी रंगमंचीय गतिविधियों को बेहद सरल व सहज रूप से बताया ।

इस आनंददायक सत्र में देहरादून शहर के विविध स्कूलों के 76 से अधिक बच्चों की उत्साहपूर्वक भागीदारी रही. इसमें बच्चों के माता-पिता, अभिभावक और शिक्षक भी शामिल रहे.

डॉ. सुवर्ण रावत ने कहा कि इस दृष्टिकोण का उद्देश्य बच्चों के विकास के लिए एक समग्र ढांचा तैयार करना है. कार्यशाला आयोजित करने के पीछे यह सुनिश्चित करना था कि संगीत, माइम, अभिनय के माध्यम से बच्चों में रंगमंच व कला के प्रति उनके प्रदर्शन को कई स्तरों पर विकसित किया जाए।

उल्लेखनीय है कि दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र पिछले 7- 8 महीनों से इस तरह की प्रभावशाली गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के रचनात्मक, सामाजिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देने के लिए लगातार सक्रिय है. बच्चों की मौलिकता,अभिव्यक्ति व सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देकर, दून पुस्तकालय बच्चों को यहाँ एक स्वतंत्र और खुला वातावरण प्रदान कर रहा है।

कार्यक्रम में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी, बाल अनुभाग की प्रभारी, मेघा ऐन विल्सन, जन कवि डॉ. अतुल शर्मा, पुतुल कलाकार रामलाल भट्ट, रंगकर्मी बद्रीश छाबड़ा, सुन्दर सिंह बिष्ट,देवेंद्र कांडपाल, प्रखर, मोनिका सहित कई अभिभावक, लेखक व अन्य लोग उपस्थित थे।

3 thoughts on “दून पुस्तकालय में डॉ.सुवर्ण रावत ने बच्चों को सिखाये रंगमंच के गुर

  1. डॉ. सुवर्ण रावत की यह कार्यशाला बच्चों के लिए वास्तव में प्रेरणादायक रही होगी। रंगमंच के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास करने का यह प्रयास सराहनीय है। ध्वनि प्रक्षेपण, अभिव्यंजना और अभिनय तकनीकों को सिखाने से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है। यह देखकर अच्छा लगा कि माता-पिता और शिक्षक भी इस आयोजन में शामिल हुए। दून पुस्तकालय का यह प्रयास बच्चों को एक रचनात्मक मंच प्रदान कर रहा है। क्या ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन नियमित रूप से किया जाएगा? मुझे लगता है कि इस तरह की गतिविधियों से बच्चों का सामाजिक और मानसिक विकास तेजी से होगा।

  2. I read this paraggraph fully onn the topic off thhe difference
    of most up-to-date annd prefious technologies, it’s remarkable article.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

!-- Google tag (gtag.js) -->